अखलाक हत्याकांड में बड़ा मोड़, एक दशक बाद आरोपियों के खिलाफ केस वापस लेगी UP सरकार
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2015 के अखलाक हत्याकांड के सभी आरोपियों के खिलाफ मुकदमे वापस लेने का फैसला किया है. इसके लिए जरूरी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. गौतमबुद्धनगर के डीएम को अभियोजन वापसी की औपचारिक मंजूरी दे दी गई है. कोर्ट में 12 दिसंबर को सुनवाई है.
गौतमबुद्धनगर के चर्चित अखलाक हत्याकांड में आरोपियों को राहत मिलने की उम्मीद है. उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी आरोपियों के खिलाफ चल रहे मुकदमों को वापस लेने का फैसला किया है. केस वापसी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. अखलाक मॉब लिंचिंग मामले में सूरजपुर कोर्ट में 12 दिसंबर को मामले की सुनवाई होनी है.
विशेष सचिव मुकेश कुमार सिंह-II ने गौतमबुद्धनगर के डीएम को पत्र भेजकर अभियोजन वापसी की औपचारिक मंजूरी दे दी है. पत्र में कहा गया है कि सरकार को प्राप्त रिपोर्ट और तर्कों पर विचार करने के बाद मुकदमा वापस लेने का निर्णय लिया गया है. मामले में नियुक्त अतिरिक्त जिला सरकारी वकील भाग सिंह भाटी ने शनिवार को इसकी पुष्टि की.
कोर्ट में आवेदन दाखिल हो चुका है
डीएम की संस्तुति और न्यायालय में प्रस्तुत प्रार्थना पत्र के आधार पर अभियोजन समाप्त करने की अनुमति प्रदान कर दी गई है. डीएम को निर्देश दिया गया है कि वे सीआरपीसी की धारा 321 के अंतर्गत कार्यवाही पूरा कर कोर्ट में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करें, ताकि प्रकरण में आगे की कार्यवाही रोकी जा सके. इस केस में 10 नामजद और 4-5 अज्ञात आरोपी बनाए गए थे.
एडवोकेट भाग सिंह भाटी के अनुसार, राज्य सरकार ने अभियोजन पक्ष को पत्र भेजकर मुकदमा वापस लेने की मंशा जाहिर की है. सूरजपुर जिला अदालत में आवेदन दाखिल हो चुका है और इस पर 12 दिसंबर को सुनवाई होगी. वहीं, अखलाक परिवार के वकील ने कहा कि अभी कोई आधिकारिक दस्तावेज नहीं देखा है. जांच के बाद ही प्रतिक्रिया देंगे.
28 सितंबर 2015 की रात हुई थी घटना
ग्रेटर नोएडा के दादरी स्थित बिसाहड़ा गांव में 28 सितंबर 2015 की रात अखलाख की भीड़ ने पीट-पीट कर हत्या कर दी थी. बिसाहड़ा गांव में लाउडस्पीकर पर घोषणा की गई थी कि अखलाक ने गोहत्या कर मांस फ्रिज में रखा है. इसके बाद भीड़ ने उनके घर पर हमला कर दिया. पिटाई में अखलाक की मौत हो गई, जबकि बेटे दानिश गंभीर रूप से घायल हो गए.
अखलाक की पत्नी इकरामन ने जारचा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसमें 10 नामजद और 4-5 अज्ञात आरोपी बनाए गए थे. मामले के कई आरोपी अब तक मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं. अखलाक का परिवार केस के बाद आर्थिक तंगी से जूझ रहा है, हालांकि घटना के समय सरकार ने उन्हें फ्लैट और लाखों रुपये की सहायता दी थी.