BSP विधायक उमाशंकर ने किया खनन घोटाला! अफसरों ने मिलभगत से कम कराया जुर्माना; CAG रिपोर्ट में खुलासा

CAG की रिपोर्ट ने उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर अवैध खनन का पर्दाफाश किया है. आरोप है कि इस अवैध खनन में बसपा विधायक उमाशंकर सिंह की फर्म भी शामिल है. रिपोर्ट में कहा गया है कि उनके द्वारा सोनभद्र में अवैध खनन किया गया और जुर्माने में हेराफेरी कर सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया गया. अधिकारियों की मिलीभगत से रायल्टी दर पर जुर्माना लगाया गया, जबकि नियमों के अनुसार नीलामी दर पर होना चाहिए था.

सांकेतिक तस्वीर

उत्तर प्रदेश में अवैध खनन को लेकर CAG की रिपोर्ट से हड़कंप मच गया है. CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि बसपा विधायक उमाशंकर सिंह ने जमकर अवैध खनन किया. यही नहीं, अधिकारियों से मिलीभगत कर जुर्माने की राशि में भी हेराफेरी की. उनके उपर जुर्माना रायल्टी के आधार पर लगाई गई है. जबकि नियमानुसार जुर्माने का निर्धारण नीलामी राशि के आधार पर होनी चाहिए थी. इस धांधली से सरकार को राजस्व के रूप में करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है.

CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि बसपा विधायक उमाशंकर सिंह की फर्म छात्र शक्ति इंफ्रा-कंस्ट्रक्शन ने सोनभद्र में अवैध खनन किया है. यह कंपनी उमाशंकर सिंह की पत्नी के नाम है. कैग ने इस अवैध खनन में पट्‌टा धारकों के साथ अधिकारियों की मिलीभगत बताई है. कहा कि पट्टाधारकों को फायदा पहुंचाने के लिए जुर्माना राशि को कम किया गया. बल्कि अवैध खनन पर जुर्माना वसूली के लिए नया फार्मल बनाया गया. नियमानुसार जुर्माना नीलामी राशि के आधार पर होनी चाहिए थी, लेकिन अधिकारियों ने रायल्टी राशि पर जुर्माना वसूल किया है.

ऐसे हुआ राजस्व को नुकसान

इस रिपोर्ट के मुताबिक बसपा विधायक की कंपनी को नीलामी में 3000 रुपए प्रति घनमीटर की दर से पत्थर खनन का पट्‌टा मिला था. इसकी रायल्टी 160 रुपए तय थी. इसके सापेक्ष कंपनी ने 33,604 घनमीटर गिट्‌टी का खनन कर लिया. इसमें अवैध खनन का मामला सामने आने के बाद अधिकारियों ने कार्रवाई के नाम पर विधायक से रायल्टी मूल्य के सापेक्ष 5 गुना जुर्माना वसूल किया. कैग के मुताबिक असली खेल जुर्माना वसूली में हुआ है. दरअसल, जुर्माने का निधारण नीलामी दर से होनी चाहिए, लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से रायल्टी रेट के अधार पर जुर्मान वसूलकर सामूहिक तौर पर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाया गया.

6 करोड़ के नुकसान का मामला

कैग के मुताबिक 33,604 घनमीटर के वैध खनन के लिए कंपनी को 10 करोड़ 8 लाख रुपए सरकार के खाते में जमा करने होते, लेकिन अवैध खनन की वजह से यह मामला 3 करोड़ 22 लाख रुपए में ही निपट गया. यह धांधली नीलीमी राशि की जगह रायल्टी दर से जुर्माना वसूली की वजह से हुई है. दरअसल यहां रायल्टी 160 रुपए थी, जबकि नीलामी दर 3000 रुपए थी. कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस गड़बड़ी को लेकर 14 जुलाई, 2023 को ही तत्कालीन निदेशक भूतत्व एवं खनिकर्म की निदेशक रौशन जैकब ने डीएम सोनभद्र को आगाह किया था. इस संबंध में उन्होंने एक पत्र भी लिखा था. बाद में रोशन जैकब का ही ट्रांसफर हो गया.