काशी में 327 साल पुरानी धनतेरस परंपरा, भगवान धन्वंतरि के दर्शन को उमड़ा भक्तों का सैलाब
काशी में 327 साल पुरानी धनतेरस की परंपरा फिर दोहराई गई. भगवान धन्वंतरि के मंदिर में हिमालयी जड़ी-बूटियां और सुरन के लड्डू चढ़ाए गए. यह एकमात्र प्राचीन मंदिर है जहां लोग साल में एक बार आरोग्य का आशीर्वाद मांगने आते हैं. साथ ही असाध्य रोगों से मुक्ति की कामना करते हैं.
उत्तर प्रदेश में स्थित काशी को विश्व की सबसे प्राचीन नगरी माना जाता है. यह शहर कई विरासतों को अपने में संजोए हुए हैं. इसी काशी में धनतेरस के अवसर पर भगवान धन्वंतरि के दर्शन करने की प्राचीन परंपरा है. यह परंपरा 327 सालों से चली आ रही है. यहां लोग साल में एक बार आरोग्य का आशीर्वाद मांगने आते हैं.
काशी की 327 साल पुरानी परंपरा धनतेरस पर इस बार भी दोहराई गई. भगवान धन्वंतरि के दर्शन के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ा. लोगों ने इस दौरान आरोग्य का आशीर्वाद मांगा. साथ ही भगवान को हिमालय की रस औषधियां और काष्ठ औषधियों का भोग लगाया गया. इस बार विशेष प्रसाद में सुरन के लड्डू चढ़ाए गए.
अनेक दुर्लभ जड़ी बुटियां भगवान को की गई अर्पित
भगवान धन्वंतरि का ये मंदिर वाराणसी के चौक इलाके के सुड़िया में स्थापित है. धनतेरस के अवसर पर भगवान धन्वंतरि को हिमालय से लाई गई ब्राहमी, अश्वगंधा, अगर, मुसली, तगर और अनेक दुर्लभ जड़ी बुटियां अर्पित की गई. इन्हीं औषधियों का इस्तेमाल साल भर बनने वाली दवाइयों में किया जाता है.
भगवान धन्वंतरि के मंदिर के ही बगल में स्थित धन्वंतरि निवास में आयुर्वेद की चिकित्सा को भी इतने ही साल हुए हैं. जहां असाध्य रोगों की चिकित्सा होती है. कैंसर, पार्किंसन, अलज़ाईमर और न्यूरो के कई जटिल रोगों का इलाज आयुर्वेद के जरिए यहां होता है. वैद्य राज कन्हैया लाल जी ने यहां धन्वंतरि मंदिर बनवाया था.
भगवान की प्रतिमा आयुर्वेद-आरोग्य शास्त्र का दर्शन
भगवान धन्वंतरि की अष्ट धातु से निर्मितसवा मन की मनमोहक छवि वाली चार भुजाओं वाली प्रतिमा आयुर्वेद और आरोग्य शास्त्र का सहज दर्शन कराती हैं. उनके एक हाथ में शंख है जिससे वो आयुर्वेद के प्रसाद का वितरण करते हैं. जबकि दूसरे हाथ में कलश है जिससे अमृत रुपी औषधि छलकती है.
वहीं, भगवान के तीसरे हाथ में जोंक है जो कि रक्त संचरण का संकेत है. जबकि चौथे हाथ में चक्र है जो कि शल्य चिकित्सा का प्रतीक है. भगवान धन्वंतरि के दर्शन करने पहुंचे लोगों में औषधीय अत्तर लगवाने और प्रतिमा पर चढ़ाए गए फूल लेने की होड़ दिखी. अत्तर की खुशबू लोगों को तरोताज़ा बना देती है.
गांधी जी समेत 9 भारत रत्न विभूतियों का हुआ इलाज
वैद्य राज कन्हैया लाल जी ने 327 साल पहले भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा स्थापित कराई थी, तब से आज तक उनकी दसवीं पीढ़ी यहां विधि विधान से इनका पूजन करती आ रही है. वर्तमान में पंडित समीर कुमार शास्त्री, राम कुमार शास्त्री और नंद कुमार शास्त्री इस पीढ़ी को आगे बढ़ा रहे हैं.
इनका दावा है कि ये दस पीढ़ी से काशी राज परिवार के राज वैद्य हैं. भगवान धन्वंतरि के आशीर्वाद से इस परंपरा ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी समेत नौ भारत रत्न विभूतियों का इलाज किया है. भक्त साल में एक बार भगवान धन्वंतरि के दर्शन के लिए बहुत उत्सुक रहते हैं.