अभी और ठिठुरेगा लखनऊ-कानपुर, 5 डिग्री तक गिर सकता है तापमान, जानें क्या है आपके शहर का हाल

आ हवा प्रदेश के तापमान में गिरावट की मुख्य वजह बन रही. मौसम विभाग के मुताबिक प्रदेश के कई जिलों के तापमान में 5 डिग्री तक गिरावट देखी जा सकती है. इसके चलते मौसम में गलन का इजाफा होगा. हालांकि, दिन के वक्त आसमान में अच्छी धूप खिली रहेगी.

यूपी में मौसम का हाल

दिसंबर की शुरूआत हो चुकी है. इस बीच ठंड ने भी अपना असल रूप दिखाना शुरू कर दिया है. न्यूनतम तापमान 7 से 8 डिग्री के बीच रिकॉर्ड किया जा रहा है. कई जिलों में कोहरे के चलते विजिबिलिटी भी प्रभावित हुई है. मौसम विभाग के मुताबिक आने वाले दिनों में तापमान में और भी कमी आ सकती है.

पहाड़ी इलाकों से होकर आ रही पछुआ हवा प्रदेश के तापमान में गिरावट की मुख्य वजह बनेगी. सुबह-शाम गलन का भारी एहसास हो सकता है. हालांकि, दिन में आसमान साफ और अच्छी धूप निकलने की संभावना है. लेकिन सुबह-शाम 15 से 18 किलोमीटर प्रति घंटे के रफ्तार से चल रही हवा ठंडक को बढ़ाने में मददगार साबित होगी.

बरेली रहा सबसे ठंडा जिला

मैदानी इलाकों से पश्चिमी विक्षोभ के गुजरने के बाद सोमवार से तापमान में 4 से 5 डिग्री तक गिरावट हो सकती है. फिलहाल बरेली सबसे ठंडा जिला रहा. यहां न्यूनतम तापमान 8 डिग्री रिकॉर्ड किया गया. वहीं, इटावा में मिनिमम टेंपरेचर 9.4, नजीबाबाद में 9.5, मुजफ्फरनगर में 9.6 और कानपुर में 10 डिग्री रिकॉर्ड किया गया.

बहराइच रहा सबसे गर्म जिला

अगर अधिकतम तापमान की बात करें तो उसमें भी लगातार गिरावट आ रही है. बहराइच 29 डिग्री के साथ सबसे गर्म जिला रहा. फिर हमीरपुर में 28.2, कानपुर 28.1, आजमगढ़ में 28 और फुरसतगंज में 27.9 मैक्सिमम टेंपरेचर पाया गया.

ठंड में लापरवाही ना बरतें

मौसम विभाग ने तापमान में गिरावट की जो आशंका जाहिर की है उसके मुताबिक इस मौसम में बच्चों और बूढों को सतर्क रहने की जरूरत है. हल्की सी लापरवाही इनकी सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है. घर से निकलते वक्त सही तरीके से गर्म कपड़े जरूर पहन कर निकलें.

प्रदूषण के स्तर में ज्यादा सुधार नहीं

फिलहाल, तमाम जतन के बाद भी प्रदूषण के स्तर में खास सुधार नहीं है. नोएडा में पीएम 2.5 का एक्यूआई इंडेक्स 252 दर्ज किया गया. जियाबाद का वायु गुणवत्ता सूचकांक 242, मेरठ का 215 पाया गया. वहीं, वाराणसी और लखनऊ का एक्यूआई 152 और 200 दर्ज किया गया.

अस्पताल में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ी

लंबे समय तक ऐसी आबोहवा में रहने पर सेहत को नुकसान पहुंचता है. एयर क्वॉलिटी इस स्तर पर पहुंचने पर ज्यादातर लोगों को सांस लेने में परेशानी होती है. इधर अस्पतालों में श्वसन संबंधी मरीजों की भी संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है.