कानपुर में मेट्रो के तीसरे फेज का काम कहां तक पहुंचा? पढ़िए पूरा अपडेट
कानपुर मेट्रो के तीसरे स्टेज का निर्माण कार्य तेजी पर चल रहा है. पहले दो स्टेज का विस्तार किया जा चुका है. तीसरे स्टेज में इको-फ्रेंडली लिफ्ट और एस्केलेटर को बनाया जा रहा है. मेट्रो की लिफ्ट में रिजेनरेटिव ब्रेकिंग तकनीक का प्रयोग किया गया है, जिससे ऊर्जा की बचत होती है.

इकोफ्रेंडली यानी पर्यावरण और हमारे दोनों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा और शानदार…आप सभी ने अभी तक इको फ्रेंडली कपड़े सुने होंगे, फ्यूल सुना होगा लेकिन, क्या इको फ्रेंडली लिफ्ट भी हो सकती है? सुनने में अटपटा जरूर लग सकता है, लेकिन आज हम आपको इको फ्रेंडली लिफ्ट के बारे में बताएंगे. चौंकिए मत, लिफ्ट भी इको फ्रेंडली हो सकती है और इसका इस्तेमाल कानपुर मेट्रो में किया जा रहा है.
कानपुर, जिसको कभी मैनचेस्टर ऑफ ईस्ट कहा जाता था उसका यह दर्जा मीलों के बंद होने की वजह से धीरे-धीरे छीनता चला गया. अब एक बार फिर यह शहर विकास के रास्ते पर अग्रसर है और कानपुर मेट्रो इसमें सबसे अहम भूमिका निभा रहा है. इसके तीसरे स्टेज का निर्माण तेजी से हो रहा है और इसमें इको फ्रैंडली लिफ्ट को शामिल किया गया है.

कानपुर मेट्रो की अभी तक की यात्रा
कानपुर मेट्रो परियोजना 2015 में प्रस्तावित की गई थी. राज्य और केंद्र की मंजूरी के बाद 2017 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ. आईआईटी कानपुर से मोतीझील तक प्राथमिकता वाला गलियारा 2021 में पूरा हो गया. इसका संचालन 28 दिसंबर, 2021 को किया गया और इसका उद्घाटन पीएम मोदी ने किया था. कानपुर मेट्रो के तीन कॉरिडोर प्रस्तावित हैं, जिसमें से दो कॉरिडोर को मंजूरी मिल चुकी है और उनका निर्माण कार्य भी शुरू है. वहीं तीसरे कॉरिडोर को विजन 2051 में शामिल किया गया है और उसकी मंजूरी का इंतजार है.
दो कॉरिडोर की मौजूदा स्थिति कैसी?
कानपुर मेट्रो का प्रथम कॉरिडोर आईआईटी कानपुर से शुरू होकर नौबस्ता तक जाएगा. इसमें जो स्टेशन शामिल किए गए हैं वो आईआईटी, कल्याणपुर, एसपीएम, सीएसजेएमयू, गुरुदेव चौराहा, गीता नगर, रावतपुर, मोतीझील, चुन्नीगंज, नवीन मार्केट, बड़ा चौराहा, फूलबाग, नयागंज, कानपुर सेंट्रल, झक्करकट्टी, ट्रांसपोर्ट नगर, बारादेवी, किदवई नगर, बसंत बिहार, बौद्ध नगर और नौबस्ता हैं.
इसमें से आईआईटी से लेकर मोतीझील तक संचालन 2021 में शुरू हो गया था जबकि, मोतीझील से लेकर कानपुर सेंट्रल तक का संचालन एक महीने पहले शुरू किया गया है. इसके अलावा दूसरे कॉरिडोर का काम भी तेजी से आगे बढ़ रहा है. इसमें शामिल स्टेशन सीएसए यूनिवर्सिटी, रावतपुर स्टेशन, काकादेव, डबल पुलिया, विजय नगर, गोविंदनगर, शास्त्री चौक और बर्रा 7 तथा बर्रा 8 है. अगर तीसरे कॉरिडोर को मंजूरी मिल गई तो मेट्रो का संचालन चकेरी एयरपोर्ट, उन्नाव तक हो जाएगा.
तीसरे स्टेज का निर्माण जोरों पर
कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के कॉरिडोर-1 (आईआईटी से नौबस्ता) के अंतर्गत दो स्टेज में आईआईटी से कानपुर सेंट्रल तक मेट्रो सेवा का विस्तार किया जा चुका है. अब तीसरे स्टेज में कानपुर मेट्रो को नौबस्ता तक ले जाने की तैयारियां जोरों पर है. इस कड़ी में कानपुर सेंट्रल से नौबस्ता तक कुल 7 स्टेशनों; झकरकटी, ट्रांसपोर्ट नगर, बारादेवी, किदवई नगर, बसंत विहार, बौद्ध नगर और नौबस्ता में लिफ्ट और एस्केलेटर इंस्टॉल करने का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है. इन सात में से दो स्टेशन; झकरकटी और ट्रांसपोर्ट नगर अंडरग्राउंड हैं तो वहीं बाकी के पांच स्टेशन; बारादेवी, किदवई नगर, बसंत विहार, बौद्ध नगर और नौबस्ता एलिवेटेड हैं.
कानपुर सेंट्रल से नौबस्ता तक सात स्टेशनों पर प्रवेश द्वारों से कॉनकोर्स तक जाने के लिए और कॉनकोर्स से प्लैटफॉर्म तक जाने के लिए कुल मिलाकर 23 एस्केलेटर और 26 लिफ्ट लगाए जाने हैं. इनकी शुरुआत की जा चुकी है. अंडरग्राउंड स्टेशनों में प्रत्येक पर 3 लिफ्ट और 4 एस्केलेटर तथा एलिवेटेड स्टेशनों में प्रत्येक पर 4 लिफ्ट और 3 एस्केलेटर लगाए जा रहे हैं. अब तक सातों स्टेशन को मिलाकर कुल 23 में से 11 एस्केलेटर और कुल 26 में से 10 लिफ्ट इंस्टॉल किए जा चुके हैं. इन स्टेशनों पर लिफ्ट और एस्केलेटर के इंस्टॉलेशन के साथ लोड टेस्टिंग की प्रक्रिया भी की जा रही है.
लगाई जा रही इको फ्रेंडली लिफ्ट
कानपुर मेट्रो के प्रथम कॉरिडोर के तीसरे चरण में ईवो फ्रेंडली लिफ्ट और एस्केलेटर लगाए जा रहे हैं. कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के तहत इस्तेमाल किए जाने वाले ये सभी एस्केलेटर और लिफ्ट ’मेक इन इंडिया’ मुहिम के तहत चेन्नई में निर्मित किए गए हैं. मेट्रो में इंस्टॉल किए जा रहे एस्केलेटर और लिफ्ट की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह इको फ्रेंडली हैं. मेट्रो की लिफ्ट में रिजेनरेटिव ब्रेकिंग तकनीक का प्रयोग किया गया है, जिससे ऊर्जा की बचत होती है.
मेट्रो के स्मार्ट एस्केलेटर एक निश्चित समय तक उपयोग नहीं होने पर ऊर्जा संरक्षण के लिए खुद रुक जाते हैं. सुरक्षा के मद्देनजर, आपातकालीन स्थिति में एस्केलेटर को तुरंत रोकने के लिए तीन आपातकालीन स्टॉप बटन की व्यवस्था भी है. ये एस्केलेटर ऑटोमेटिक अनाउंसमेंट के माध्यम से यात्रियों को हैंड रेल पकड़ने के लिए सुरक्षा निर्देश भी देते हैं.
मेट्रो के अधिकारी पंचानन मिश्रा ने बताया कि इस तरह की लिफ्ट और एस्केलेटर चलते-चलते तकरीबन 32 यूनिट बिजली खुद पैदा कर लेते हैं. उसका इस्तेमाल भी करते हैं. इस वजह से इनको इको फ्रेंडली कहा जाता है. उन्होंने बताया कि इसी साल नवंबर या ज्यादा से ज्यादा दिसंबर तक नौबस्ता तक मेट्रो का संचालन शुरू हो जाएगा.



