लखनऊ में मानव तस्करी, CM सुरक्षा में तैनात पीएसओ की बेटी को भी बेचा; ऐसे खुला राज
लखनऊ पुलिस ने एक बड़े मानव तस्करी गिरोह का पर्दाफाश किया है. इस गिरोह ने अब तक15 से ज़्यादा लड़कियों को बेचा है. यहां तक कि सीएम के पीएसओ की बेटी को भी 50 हजार में बेच दिया गया था. पुलिस ने इस मामले में गिरोह के सरगना समेत दो को गिरफ्तार किया है.
लखनऊ की कृष्णानगर पुलिस ने एक सनसनीखेज मामले में मानव तस्करी के बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया है. यह गिरोह पिछले 12 साल से लड़कियों को शादी और अनैतिक कार्यों के लिए बेचने का गोरखधंधा चला रहा था. पुलिस ने इनके कब्जे से दो नाबालिग युवती को बरामद किया है, जिनमें से एक रायबरेली की रहने वाली है. पुलिस ने इस मामले दो आरोपियों को भी गिरफ्तार किया है.
डीसीपी दक्षिण निपुण अग्रवाल ने बताय़ा कि ये गिरोह अकेली और भटकी हुई लड़कियों को निशाना बनाता था. ये लोग चारबाग रेलवे स्टेशन और आलमबाग बस स्टेशन जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में रेकी करते थे. पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इनमें से एक मध्य प्रदेश के सहडोल निवासी संतोष साहू है, जो इस गिरोह का सरगना है. उसने कबूला कि वह अब तक 15 से ज्यादा लड़कियों को बेचा है.
CM पीएसओ की बेटी को 50 हजार में बेचा
इस गिरोह ने पिछले 12 सालों में 15 से ज्यादा लड़कियों को बेचा चुका है. इस बार उसने कृष्णानगर में रहने वाले एक सीएम सुरक्षा में तैनात पीएसओ की नाबालिग बेटी को झांसे में लिया. संतोष साहू ने चारबाग रेलवे स्टेशन पर लड़की को बुलाया और वहां से प्रयागराज अपने घर ले गया. जहां किशोरी को मनीष भंडारी नाम के सख्स को 50 हजार रुपये में बेच दिया गया. पीएसओ ने 30 जून को बेटी की गुमशुदगी की शिकायत की थी.
दरअसल, पीएसओ की बेटी 28 जून को घर से गायब हो गई थी. जिसके बाद उसने अपने पिता को वॉइस मेसेज भेजा था. जिसमें उसने कहा, ‘पापा, मुझे मत खोजना, मैं भगवान के पास जा रही हूं.’ उसने घर से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति भी साथ ले गई थी. जांच में पता चला कि वह मथुरा में प्रेमानंद जी महाराज से मिलना चाहती थी. लेकिन संतोष ने उसकी धार्मिक भावनाओं का फायदा उठाया.
पुलिस ने 6 टीमें बनाकर लड़की को खोजा
हालांकि, किशोरी के रोने और पकड़े जाने के डर से मनीष ने उसे रखने से मना कर दिया और 45 हजार रुपये वापस लेकर किशोरी को संतोष को सौंप दिया. पुलिस ने 6 टीमें गठित कर लड़की की तलाश शुरू की और 8 जुलाई को उसे बरामद कर लिया गया. पूछताछ में किशोरी ने अपनी आपबीती सुनाई, जिसके आधार पर गुरुवार को संतोष और मनीष भंडारी को गिरफ्तार किया गया. संतोष के पास से रायबरेली की एक अन्य किशोरी भी बरामद हुई है.
यूपी से झारखंड तक फैला था रैकेट
पुलिस जांच में पता चला कि संतोष 20 सिम और मोबाइल फोन बदलकर अपनी पहचान छिपाता था. उसने पूछताछ में कबूल किया कि उसने 12 साल में 15 से ज्यादा लड़कियों को बेचा. एक लड़की को शादी या अनैतिक कार्यों के लिए 50 हजार से लेकर 2.75 लाख रुपये तक में बेचा जाता था. यही नहीं, इस गिरोह का नेटवर्क उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान में फैला हुआ है.
इस गिरोह ने सबसे ज्यादा लड़कियां राजस्थान में बेची, जहां हाल ही में एक किशोरी को 2.75 लाख रुपये में सीकर में बेचा गया था. संतोष ने बताया कि वह उन लोगों को टारगेट करता था, जो शादी के लिए लड़कियां खरीदना चाहते थे और इसके लिए लाखों रुपये देने को तैयार थे. पुलिस ने बताया कि संतोष पर लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, छत्तीसगढ़ और प्रतापगढ़ में छह एफआईआर दर्ज हैं, जबकि मनीष पर दो केस दर्ज हैं.