एक अक्षर की गलती… 22 दिन काटनी पड़ी जेल, 17 साल बाद मिला न्याय; हैरान कर देगी मैनपुरी के किसान की कहानी

पुलिस की टाइपिंग एरर की वजह से मैनपुरी के एक किसान को 22 दिन जेल में बिताने पड़े है. यही नहीं उसे अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए 17 साल में कोर्ट के 300 चक्कर काटने पड़े हैं. दरअसल पुलिस ने मुकदमे में रामवीर की जगह राजवीर लिख दिया था. 17 साल बाद कोर्ट ने किसान राजवीर को बरी तो कर दिया है, लेकिन बड़ा सवाल यह कि एक निर्दोष व्यक्ति को पुलिस की लापरवाही से कोर्ट के चक्कर काटने पड़ गए.

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एक कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि एक नुक्ते की वजह से खुदा जुदा हो जाता है. उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में कुछ इसी तरह की घटना हुई है. यहां पुलिस ने अंग्रेजी के एम की जगह जे टाइप कर दिया. इसके चलते एक मुकदमे में रामवीर की जगह राजवीर गिरफ्तार हो गए. 22 दिन जेल काटे और फिर 17 साल तक अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए कोर्ट में लड़ते रहे. आखिरकार वह कोर्ट से बरी तो हो गए, लेकिन अब उनका सवाल है कि उनके 17 साल कौन लौटाएगा.

फिलहाल इस गलती के लिए कोर्ट ने पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं. मामला मैनपुरी के नगर कोतवाली थाना क्षेत्र के नगला भंत गांव में साल 2008 का है. कोतवाली पुलिस ने यहां रहने वाले रामवीर, मनोज यादव, प्रवेश यादव और भोला के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट का मुकदमा दर्ज किया था. पुलिस ने गलती से रामवीर की जगह मुकदमे में राजवीर लिख दिया था. यही नहीं, दावा कर दिया था कि राजवीर का आपराधिक इतिहास रहा है.

22 दिन बाद जेल से छूटे राजवीर

जबकि उनके खिलाफ पहले से कोई मुकदमा ही नहीं था. चूंकि रामवीर की जगह राजवीर का नाम क्राइम रिकॉर्ड में चढ़ गया और हर जगह राजवीर ही पढ़ा गया. ऐसे में पुलिस ने भी आनन फानन में रामवीर की जगह राजवीर को अरेस्ट कर जेल भी भेज दिया. राजवीर 22 दिनों तक जेल में रहे और फिर जमानत पर छूटकर बाहर आए. इसके बाद उन्होंने कोर्ट में अपनी बेगुनाही की लड़ाई शुरू की. कोर्ट में अपनी बेगुनाही का सबूत लेकर 300 बार चक्कर काटे.

पुलिस ने बताया टाइपिंग एरर

आखिर में 17 साल बाद कोर्ट में फैसला हो पाया है कि राजवीर के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं है, बल्कि जिसके खिलाफ मुकदमा है वो रामवीर है. पुलिस ने भी मान लिया कि टाइपिंग एरर की वजह से यह गलती हुई है. इसके लिए पुलिस ने कोर्ट में माफी भी मांगी है. लेकिन राजवीर ने सवाल उठाए हैं कि उसके 22 दिन की जेल और 17 साल की लड़ाई को कौन लौटाएगा.

दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई के आदेश

पुलिस के मुताबिक शहर कोतवाली के तत्कालीन इंस्पेक्टर ओमप्रकाश ने मामला दर्ज कराया था और मुकदमे की विवेचना दन्नाहार थाना पुलिस ने की. विवेचक दरोगा शिवसागर दीक्षित ने भी तथ्यों की पड़ताल नहीं की और बाकी आरोपियों के साथ निर्दोष राजवीर को भी अरेस्ट कर लिया था. कोर्ट ने इस मामले में इंस्पेक्टर ओमप्रकाश और दरोगा शिवसागर दीक्षित व दरोगा राधेश्याम को तलब किया. उनसे पूछताछ हुई तो आरोपियों ने अपना दोष कबूल किया. इसके बाद कोर्ट ने इनके खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं.