‘BJP विधायक ने ₹120 करोड़ का गबन किया’, जिला पंचायत अध्यक्ष ने लगाया आरोप तो भड़के MLA
बांदा में बीजेपी के विधायक और जिला पंचायत अध्यक्ष के बीच तीखी राजनीतिक जंग छिड़ गई है. जिला पंचायत अध्यक्ष पर 6.30 करोड़ के घोटाले का आरोप है. जबकि अध्यक्ष ने विधायक और उनकी पत्नी पर 120 करोड़ के गबन का आरोप लगाया है. दोनों के बीच तनाव चरम पर है.
उत्तर प्रदेश के बांदा में बीजेपी के दो दिग्गज नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. दोनों तरफ एक दूसरे के प्रति तलवारे खींच चुकी हैं. एक जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल हैं जबकि दूसरे सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी हैं. इन दोनों ने एक-दूसरे पर बांदा जिला पंचायत में करोड़ों रुपए के गबन का आरोप लगाए हैं. हालांकि, दोनों ने ही अपने ऊपर लगे आरोप को तथ्यहीन और फर्जी करार दिया है.
दरअसल, इस पूरे विवाद की शुरुआत 2024 में बोर्ड की बैठक को दौरान हुआ था. जहां दोनों ने एक-दूसरे पर पैसों के गबन का आरोप लगाया था. सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी ने तहबाजारी की नीलामी में जिला पंचायत अध्यक्ष पर 6.30 करोड़ रुपए के गमन का आरोप लगाया. जबकि जिला पंचायत अध्यक्ष ने विधायक और उनकी पत्नी सरिता द्विवेदी पर 120 करोड़ फर्जी हस्ताक्षर करके निकालने का आरोप लगाया है.
यह मुझे बदनाम करने की साजिश
हालांकि, इस मामले में सदर विधायक की शिकायत पर जिला पंचायत अध्यक्ष पर कार्रवाई हुई है. विधायक ने घोटाले के खिलाफ मंडलायुक्त को शिकायत की थी. जिसके बाद महोबा डीएम को इसकी जांच पर लगाया गया था. जांच में पाया गया कि तहबाजारी में 6 करोड़ रुपए के घोटाले हुए हैं. इसके बाद इस मामले में जिला पंचायत अध्यक्ष को आरोपी ठहराया गया. वहीं, जिला पंचायत अध्यक्ष के आरोप पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी बांदा से उनके ऊपर लगे आरोप पर सवाल किया तो, उन्होंने इसे बकवास और फर्जी बताया है. उन्होंने कहा कि, जो अध्यक्ष द्वारा किया जा रहा है, यह मुझे और मेरी पत्नी को बदनाम करने की साजिश है. उन्होंने कहा कि जिला पंचायत अध्यक्ष ने 6.30 करोड़ रुपए का गमन किया है. जांच में यह सिद्ध भी हुआ है. इस बात से बौखला कर वो इस तरह के अनर्गल आरोप मेरे ऊपर लगा रहे हैं.
सुनील पटेल ने क्या कुछ कहा है?
बीजेपी के जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल ने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान विधायक पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने का आरोप है कि विधायक की पत्नी ने तहबाजारी के ठेके को 3 करोड़ 65 लाख की जगह अपने तानाशाही के चलते 1 करोड़ 65 लाख में कर दिया है. साथ ही केवल एक कंपनी वीरेंद्र कंस्ट्रक्शन को ही ठेका दिया गया. क्योंकि वे ठेके में खुद शामिल हैं.
वहीं, अध्यक्ष ने अपने ऊपर लगे गबन के आरोप पर कहा कि जांच कमेटी ने मेरी बात सुनी ही नहीं, मेरी बात लिखी ही नहीं गई. एक पक्षी रिपोर्ट में डिसीजन दिया गया जो की यह निर्माता अधिकारों का हनन है. उनका ये भी कहना है कि 2 दिन बाद भी 120 करोड़ के गबन के आरोप में एफआईआर दर्ज नहीं हुई है. अब देखना ये है कि दोनों के बीच तनाव का दौरा कब खत्म होता है.
रिपोर्ट- आलोक निगम, टीवी9,यूपी