सीएम योगी से 55 मिनट की मुलाकात, अचानक मुख्यमंत्री आवास क्यों पहुंचे बृजभूषण शरण सिंह? इनसाइड स्टोरी
उत्तर प्रदेश के दिग्गज बीजेवी नेता बृजभूषण शरण सिंह की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से 55 मिनट की मुलाक़ात ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है. दोनों नेताओं के बीच लंबे समय से तनाव चल रहा है. ऐसे में इस मुलाक़ात को सुलह के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि इस मुलाकात के बाद बृजभूषण के चेहरे के भाव बताते हैं कि उन्हें निराशा ही हाथ लगी है. उनकी इस मुलाक़ात के कई राजनीतिक अर्थ निकाले जा रहे हैं.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रविवार को एक खबर बड़ी चर्चा में रही. यह खबर बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की है. सीएम आवास पहुंचे बृजभूषण शरण सिंह करीब 55 मिनट तक मुख्यमंत्री के सामने रहे. कुछ अपनी सुनाई, कुछ उनकी सुने. फिर सीएम आवास से बाहर निकलकर मीडिया से बातचीत की. बोले कि सीएम से मिलना जुलना तो लगा ही रहता है. लेकिन, उनके चेहरे के हाव-भाव तो कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहे थे. इनके इस भाव की व्याख्या राजनैतिक गलियारे में अलग अलग तरीके से हो रही है.
हर पार्टी और हर नेता इस मुलाकात के अपने अपने मायने निकाल रहे हैं. कुल मिलाकर सियासी हलचल तेज हो गई है. माना जा रहा है कि यह मुलाकात इन दोनों नेताओं के बीच पैदा हुई सियासी खाई को पाटने की कोशिश थी, लेकिन बृजभूषण शरण सिंह के लटके चेहरे ने साफ कर दिया कि इस मुलाकात में उन्हें निराशा ही हाथ लगी है. बता दें कि बृजभूषण शरण सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच बीते तीन वर्षों से तनातनी की स्थिति है. यह स्थिति कई बार सुर्खियां भी बनी. खासतौर पर पूर्वांचल की सियासत में बृजभूषण शरण सिंह को सीएम योगी के ‘विरोधी’ चेहरे के तौर पर देखा जाता है.
2022 में भी सीएम आवास आए थे बृजभूषण
2019 के लोकसभा चुनाव के बाद ये दोनों नेता कभी भी सार्वजनिक मंच पर एक साथ नजर नहीं आए. जनवरी 2022 में बृजभूषण शरण सिंह अपने जन्मदिन पर सीएम योगी को आमंत्रित करने के लिए उनके आवास पर गए थे, लेकिन सीएम उस कार्यक्रम में नहीं पहुंचे. इसकी वजह से दोनों के रिश्तों में ठंडापन और गहरा गया था. उसी साल यानी 2022 में ही बृजभूषण ने खुलकर सरकार की आलोचना भी की थी. उस समय उनके घर में बाढ़ का पानी घुस गया था और उन्हें ट्रैक्टर से आने-जाने को मजबूर होना पड़ा था.
चर्चा में रहा सपा के प्रति नरम रूख
इसके अलावा, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के प्रति उनके नरम रुख और तारीफ भरे बयानों ने भी बीजेपी के अंदर और बाहर सियासी हलचल बढ़ा दिया था. हाल ही में बृजभूषण ने अखिलेश को ‘धार्मिक’ और ‘श्रीकृष्ण के वंशज’ कहा तो माना किया गया कि उनकी बीजेपी से दूरी और सपा से नजदीकी बढ़ रही है. हालांकि अब उनके सीएम आवास पहुंचने पर माना जा रहा है कि वह मुख्यमंत्री योगी से अपने और अपने परिवार के लिए सियासी संरक्षण चाहते हैं.
एक बेटा सांसद तो दूसरा विधायक है
इस समय उनके बड़े बेटे करण भूषण सिंह कैसरगंज से बीजेपी सांसद हैं, जबकि छोटे बेटे प्रतीक भूषण सिंह विधायक हैं. गोंडा की सियासत में बृजभूषण शरण सिंह और केंद्रीय राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह के बीच का टकराव जग जाहिर है. कीर्तिवर्धन के पिता और पूर्व मंत्री आनंद सिंह के निधन पर सीएम योगी गोंडा पहुंचे थे और हाल ही में उन्होंने कीर्तिवर्धन से भी मुलाकात की थी. दरअसल, गोंडा में इन दोनों नेताओं के खेमे सियासी वर्चस्व की जंग में हमेशा आमने-सामने रहे हैं. 2021 में आनंद सिंह ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर गौरा विधानसभा के विधायक का टिकट काटने की मांग की थी. वहीं बृजभूषण ने आनंद सिंह पर सपा को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया था.
मुलाकात के निकाले जा रहे अलग अलग मायने
सियासी पंडितों की माने तो गोंडा और पूर्वांचल की सियासत में बृजभूषण का प्रभाव अभी कायम है. यह अलग बात है कि बीजेपी के अंदर उनकी ताकत घटती जा रही है. रही सही कसर सीएम योगी के साथ जारी तनाव ने पूरी कर दी है. इसकी वजह से उनके लिए चुनौतियां बढ़ गई है. ऐसे हालात में सीएम योगी से इस मुलाकात को लेकर सियासी गलियारों में अटकलों का दौर तेज हो गया है. बड़ा सवाल यही है कि क्या बृजभूषण बीजेपी में अपनी पुरानी हैसियत हासिल कर पाएंगे या फिर भविष्य में कोई नया सियासी रास्ता चुनेंगे.