तेजी से बढ़ रहीं फैटी लीवर डिजीज… झांसी मेडिकल कॉलेज की चौंकाने वाली रिपोर्ट

यूपी का बुंदेलखंड इलाके में इन दिनों फैटी लिवर डिजीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. झांसी मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट में ये बातें सामने आई हैं. पता चला है कि मोटापा, डायबिटीज और अनियमित जीवनशैली इसकी प्रमुख वजहें हैं. आखिर इसके चलते क्या खतरे हो सकते हैं और इसका बचाव कैसे किया जा सकता है. आपको बताते हैं.

झांसी मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट में आईं ये बातें Image Credit:

यूपी का बुंदेलखंड क्षेत्र में इन दिनों एक नई स्वास्थ्य समस्या से जूझता हुआ दिखाई दे रहा है. यहां तेजी से फैटी लिवर डिजीज के मामले सामने आ रहे हैं. मेडिकल टर्म में इसे नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) कहा जाता है. ये बीमारी इसलिए भी काफी खतरनाक मानी जाती है क्योंकि ये शुरूआत में इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते.

बिना किसी खास लक्षणों के ये शरीर को नुकसान पहुंचाना शुरु कर देती है और जब तक इसका पता चलता है, तब तक हालत काफी बिगड़ चुकी होती है.

आए चौंकाने वाले आकड़े

झांसी मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग ने इसे लेकर एक साल तक रिसर्च किया और 302 मरीजों की जांच की. इसके नतीजे हैरान कर देने वाले रहे. 80 फीसदी मोटे मरीजों में फैटी लिवर की पुष्टि हुई. वहीं, 46 फीसदी डायबिटीज पेशेंट, 66% कोलेस्ट्रॉल के मरीज और 40% थायराइड और ब्लड प्रेशर से जूझ रहे लोग भी इस बीमारी की चपेट में पाए गए.

यहीं के एक डॉ. कुलदीप चंदेल ने बताया कि खराब दिनचर्या, जंक फूड, शराब और फिजिकल एक्टिविटी की कमी इसकी मुख्य वजहें हैं. ये बीमारी लीवर में चर्बी जमने की वजह से होती है, जिससे शरीर में SGOT और SGPT नामक एंजाइम का स्तर बढ़ जाता है. इसका असर न सिर्फ लिवर बल्कि दिल और पाचन तंत्र पर भी पड़ता है.

ये हैं सिम्टम्स

शुरुआत में मरीज थकावट, पेट दर्द और भूख में कमी जैसे लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं. लेकिन धीरे-धीरे ये गंभीर रूप ले सकती है, और लिवर सिरोसिस जैसी जानलेवा स्थिति तक पहुंच सकती है.

डॉक्टरों का कहना है कि समय रहते अगर सतर्कता बरती जाए तो इस बीमारी से बचा जा सकता है. इसके लिए जरूरी है कि रोजाना योग, प्राणायाम और हल्की एक्सरसाइज की जाए. इसके अलावा ताजी हरी सब्जियां, फाइबर युक्त अनाज और कम वसा वाला खाना खाना भी काफी फायेमंद हो सकता है. साथ ही शराब और तली-भुनी चीजों से दूरी बनाना भी बेहद अहम है.