होर्डिंग्स का बार-बार नहीं होगा रिन्यूवल… यूपी में अब 15 साल के लिए मिलेगा ठेका
उत्तर प्रदेश में अब बार-बार विज्ञापनों की अनुमति से छुटकारा मिलेगा. योगी सरकार ने टेंडर प्रक्रिया में बदलाव करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. अब एक बार में 15 सालों के लिए विज्ञापनों का ठेका मिल सकेगा. नए नियमों से टेंडर प्रक्रिया में कमी आएगी और नगर निगमों के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी.
उत्तर प्रदेश के नगर निगम क्षेत्रों में विज्ञापनों की अनुमति अवधि को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है. अब तक दो साल के लिए ठेका दिया जाता था जिसे बढ़ाकर 15 वर्ष कर दिया गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है. इसके लिए उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959 की धारा-305(1) में संशोधन किया जाएगा.
इस फैसले के बाद राज्य की सभी नगर निगमों में उत्तर प्रदेश नगर निगम (चिन्हों एवं विज्ञापनों का विनियमन) नियमावली, 2025 लागू की जाएगी. सरकार का मानना है कि यह बदलाव विज्ञापन एजेंसियों को लंबी अवधि के निवेश, तकनीकी नवाचार और बेहतर गुणवत्ता के लिए प्रेरित करेगा. इससे नगर निकायों को बार-बार टेंडर प्रक्रिया से गुजरने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.
नगर निगमों के राजस्व में होगी बढ़ोतरी
इससे प्रशासनिक दक्षता बढ़ेगी और राजस्व स्थिरता सुनिश्चित होगी. साथ ही, बढ़ते शहरीकरण और सीमित वित्तीय संसाधनों की चुनौतियों के बीच नगर निगमों को अतिरिक्त आय के स्रोत भी मिलेंगे. योगी सरकार की कैबिनेट बैठक में कुल 19 प्रस्तावों पर मुहर लगी है. इसमें किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू), उत्तर प्रदेश अधिनियम-2002 में संशोधन की मंजूरी दे दी है.
इस संशोधन के तहत विश्वविद्यालय की कार्य परिषद में अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रोफेसरों को प्रतिनिधित्व देने के लिए धारा-24(1)(A) जोड़ी जाएगी. इसका उद्देश्य आरक्षित वर्गों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा और अनुश्रवण सुनिश्चित करना है. संशोधन के अनुसार, राज्य सरकार वरिष्ठतम प्रोफेसरों में से एक-एक सदस्य को नामित करेगी, जो एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग से होंगे.
दो नए निजी विश्वविद्यालयों को मंजूरी
इसके अलावा, कैबिनेट बैठक में दो नए निजी विश्वविद्यालयों के.डी. विश्वविद्यालय (मथुरा) और बोधिसत्व विश्वविद्यालय (बाराबंकी) की स्थापना के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है. इन विश्वविद्यालयों की स्थापना उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 के तहत की जा रही है. केडी विश्वविद्यालय के लिए 50.54 एकड़ जबकि बोधिसत्व विश्वविद्यालय के लिए 25.31 एकड़ भूमि चिन्हित की गई है.