लखनऊ में अफसरशाही हावी! कार्यक्रम में नहीं बुलाने पर नगर आयुक्‍त पर भड़कीं मेयर, मांगा जवाब

लखनऊ मेयर सुषमा खर्कवाल ने नगर निगम के कार्यक्रम में नहीं बुलाने को लेकर नाराज हैं. उन्होंने नगर आयुक्त गौरव कुमार पर प्रोटोकॉल उल्लंघन और अफसरशाही का आरोप लगाया है. साथ ही एक पत्र लिखकर मेयर ने नगर आयुक्त से 4 अगस्त तक जवाब मांगा है.

लखनऊ नगर निगम में मेयर सुषमा खर्कवाल (फाइल फोटो) Image Credit:

लखनऊ नगर निगम में मेयर सुषमा खर्कवाल और नगर आयुक्त गौरव कुमार के बीच विवाद गहरा गया है. विधायक और मंत्री के बाद मेयर अफसरशाही से परेशान हैं. वह नगर निगम के कार्यक्रम में नहीं बुलाया को लेकर नाराज हैं. आरोप है कि नए अधिकारियों के बीच काम बांटने में मेयर की राय नहीं ली गई. इसको लेकर मेयर सुषमा खर्कवाल ने नगर आयुक्त को नोटिस जारी किया है.

मेयर सुषमा खर्कवाल ने प्रोटोकॉल का उल्लंघन और अफसरशाही का आरोप लगाया है, जिससे नगर निगम में हड़कंप मचा हुआ है. मेयर ने नगर आयुक्त से 4 अगस्त तक जवाब मांगा है. मेयर ने पूछा कि इन मामलों में उनकी आवश्यकता थी या नहीं? कार्य आवंटित में राय मशवरा क्यों नहीं लिया गया. साथ ही सेवानिवृत्त कर्मियों के कार्यक्रम में उन्हें क्यों नहीं बुलाया गया?

कर्मचारियों के विदाई समारोह का था कार्यक्रम

नगर निगम में 31 जुलाई को सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के लिए एक अगस्त को विदाई समारोह का कार्यक्रम प्रस्तावित था. लेकिन कार्यक्रम में मेयर को नहीं बुलाया गया. मेयर ने अपने पत्र में सवाल उठाया है कि मौखिक अनुरोध पर वह कार्यक्रम में पहुंचीं लेकिन वहां न तो नगर आयुक्त मौजूद थे और न ही अपर नगर आयुक्त उपस्थित थीं.

मेयर ने लिखा कि मौके पर उपस्थित नगर स्वास्थ्य अधिकारी को अपर नगर आयुक्त को कार्यक्रम में बुलाने की बात कही. लेकिन उन्होंने कहा कि वह प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से हो रही बैठक में थे. जबकि मात्र आधे घंटे में ही वह उपस्थित हो गईं. मेयर का आरोप है कि अपर नगर आयुक्त को महत्वपूर्ण दायित्व सौंपना, जो वह निर्वहन न करें प्रोटोकाल की अवहेलना है.

नगर आयुक्त को दी ट्रेनिंग लेने की सलाह

मेयर ने इसके साथ ही नगर आयुक्त गौरव कुमार पर भी सवाल किया. उन्होंने पत्र में लिखा कि प्रोटोकाल की अवहेलना नगर निगम के हित में उचित नहीं है. जबकि आप स्वयं विभागीय मुखिया हैं और मुखिया होने के नाते आपका भी दायित्व था कि नगर निगम की कई वर्षों तक सेवा कर सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के सम्मान में उपस्थित होते और प्रोटोकाल के तहत अधोहस्ताक्षरी को भी अवगत कराते.

उन्होंने पूछा कि अगर बैठक में उपस्थित होना आवश्यक ही था तो कार्यक्रम की तिथि में परिवर्तन भी किया जा सकता था, लेकिन ऐसा न किया जाना कर्मचारियों के प्रति आपकी संवेदनहीनता को दर्शाता है. मेयर ने यहां तक सलाह दी कि नगर आयुक्त और उनके अधीन अधिकारी को महापौर के प्रोटोकाल हेतु शासन से प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहिए. साथ ही 5 अगस्त तक जवाब मांगा है.