हर स्कूल में बनेगी सेफ्टी कमेटी, मानकों के उल्लंघन पर जब्त होंगे स्कूल बस; बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक्शन में सरकार

उत्तर प्रदेश सरकार ने स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर सख्त कदम उठाए हैं. ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने अब हर महीने स्कूल बसों की जांच अनिवार्य कर दी है. वहीं मानकों का उल्लंघन पर स्कूल बसों को जब्त करने का आदेश दिया है. इसी क्रम में स्कूल स्तर पर सुरक्षा समितियों के गठन का भी प्रावधान किया गया है.

फाइल फोटो

उत्तर प्रदेश सरकार ने स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर सख्त रवैया अपनाया है. स्कूल बस से लेकर क्लास रूम तक बच्चों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं सभी जिलों के आरटीओ और एआरटीओ को हर महीने स्कूल बसों की जांच करने को कहा है. इस संबंध में प्रदेश में संचालित सभी स्कूलों के प्रबंधकों और प्रधानाचार्यों को दिशा निर्देश भेज दिए गए हैं. इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि सभी स्कूल अपने स्तर पर स्कूल ट्रांसपोर्ट सेफ्टी कमेटी का तत्काल गठन करेंगे और इसकी सूचना सरकार को देंगे.

उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त ने सभी आरटीओ और एआरटीओ को जारी दिशा निर्देश में कहा है कि अब हर महीने स्कूल बसों की जांच होगी. किसी भी स्कूल बस में मानकों की अनदेखी पायी जाएगी तो उसे जब्त कर लिया जाएगा. उन्होंने स्कूल वैन संचालन संबंधी व्यवस्था को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में काम करने को कहा है. बता दें कि हाल ही में सीएम योगी ने स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी. इसके बाद ट्रांसपोर्ट विभाग ने एक से 15 जुलाई के बीच प्रदेश भर में अभियान चलाकर स्कूली वाहनों की जांच की थी.

67613 वाहन रजिस्टर्ड, 46748 की हुई जांच

इस अभियान में ट्रांसपोर्ट विभाग ने प्रदेश में दर्ज कुल 67613 स्कूली वाहनों को लिस्ट तैयार की थी. इनमें से 46748 वाहनों की गहन जांच की गई. इनमें से 4089 वाहनों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी पायी गई है. वहीं, 1768 वाहन ऐसे मिले जिनकी फिटनेस अवधि समाप्त थी. इस मामले में ट्रांसपोर्ट विभाग ने कुल 4438 वाहनों का चालान किया है, वहीं 913 वाहनों को जब्त कर लिया गया है. इस प्रकार विभाग ने 88.52 लाख रुपये की प्रशमन राशि वसूल की है.

लखनऊ, प्रयागराज और कानपुर में बड़ी कार्रवाई

इस अभियान के तहत ट्रांसपोर्ट विभाग ने राजधानी लखनऊ, प्रयागराज और कानपुर आदि शहरों में बड़ी कार्रवाई की. वहीं फर्रुखाबाद, मऊ, महराजगंज, देवरिया, हापुड़, सिद्धार्थनगर आदि जिलों में वाहनों की सघन जांच पड़ताल की गई. इसी क्रम में अब ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने सभी जिलाधिकारियों, मंडलायुक्तों (क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में), क्षेत्रीय परिवहन अधिकारियों (RTO/ARTO) एवं विद्यालय प्रबंधकों/प्रधानाचार्यों को एक पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने स्कूल वैन संचालन को लेकर कड़े दिशा निर्देश दिए हैं.

जिला स्तर पर एक्टिव होगी कमेटी

ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने सभी डीएम से अपेक्षा की है कि वह तत्काल अपने जिले में गठित जिला विद्यालय वाहन परिवहन सुरक्षा समिति को एक्टिव करेंगे और इनके साथ नियमित बैठकें भी करेंगे. वहीं उन्होंने समिति के सदस्यों से अपेक्षा की है कि अपने जिले में संचालित सभी स्कूली बसों की प्रभावी निगरानी करेंगे और खामी या लापरवाही पाए जानें पर कड़ा एक्शन लेंगे.

वर्जन

“विद्यालय वाहनों के संचालन में नियमों में लापरवाही या अनदेखी स्वीकार नहीं होगी. बच्चों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा. सभी संबंधित अधिकारी, विद्यालय प्रबंधन एवं वाहन संचालक तत्काल इस पर कार्रवाई करें. नियमों का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध कठोरतम कानूनी कार्रवाई होगी.”

ब्रजेश नारायण सिंह, परिवहन आयुक्त, उत्तर प्रदेश