2.5 लाख घरों में बायोगैस यूनिट लगाएगी UP सरकार, किसानों को देने होंगे महज़ 3390 रुपये
यूपी की योगी सरकार प्रदेशभर में 2.5 लाख घरेलू बायोगैस यूनिट्स लगाने जा रही है. इसके तहत पहले चरण में 4 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पे 2250 यूनिट्स लगाई जाएंगी. किसानों को इसकी लागत का केवल 10 फीसदी ही देना होगा. इससे न केवल LPG की खपत घटेगी बल्कि जैविक खाद का उत्पादन भी बढ़ेगा. सरकार की इस पहल का क्या है दूरगामी प्लान. आपको बताते हैं.
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने ग्रामीण विकास और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अहम कदम उठाया है. इसके तहत ‘ग्राम-ऊर्जा मॉडल’ के जरिए ग्रामीण इलाके के 2.5 लाख घरों में घरेलू बायोगैस यूनिट्स लगाने का फैसला किया गया है. पहले चरण में ये योजना अयोध्या, वाराणसी, गोरखपुर और गोंडा जिलों में लागू की जा रही है, जहां कुल 2250 यूनिटें स्थापित की जाएंगी. इन जिलों को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पे चुना गया है. इसकी सफलता के बाद अगले 4 सालों में इस योजना का काम पूरा किया जाएगा.
3990 रुपये ही देने होंगे
लगाए जाने वाले एक बायोगैस संयंत्र की कुल लागत 39,300 रुपये तय की गई है, जिसमें किसान को कुल लागत का महज 10 फीसदी यानी 3990 रुपये ही देने होंगे. बाकी राशि की भरपाई सरकार और कार्बन क्रेडिट मॉडल से की जाएगी. इससे किसानों पर आर्थिक बोझ भी नहीं पड़ेगा और वे आसानी से यूनिट लगवा पाएंगे.
उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता के मुताबिक इस योजना से रूरल इकोनॉमी काफी बूस्ट होने वाली है. इसका सीधा फायदा किसानों को मिलने वाला है.
रसोई गैस की चिंता होगी खत्म
अनुमान है कि इससे रसोई में LPG की खपत 70 फीसदी तक घट सकती है. इसके साथ- साथ जैविक खाद के जरिए जहां एक तरफ फसलों का उत्पादन बढ़ेगा तो वहीं रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता भी कम होगी. जिससे फसलों की लागत में कमी देखने को मिलने वाली है. गो सेवा आयोग के अधिकारी डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि इन यूनिटों से किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली प्राकृतिक खाद मुहैया हो पाएगी.
मिलेंगे नए रोजगार
इस योजना के तहत 43 गोशालाओं में भी बायोगैस संयंत्र स्थापित किए जाएंगे. प्रत्येक गोशाला से लगभग 50 क्विंटल स्लरी हर महीने तैयार होने का अनुमान है. जानकारों का मानना है कि ये योजना न केवल रसोई गैस के खर्च को कम करने वाली है, बल्कि युवाओं के लिए स्वरोजगार के नए अवसर भी मिलने वाले हैं. इसके साथ ही सरकार का ये कदम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी बेहद अहम माना जा रहा है.