हनुमान जी और वो भी स्त्री रूप में! यहां है दुनिया का इकलौता बजरंग बली का ऐसा मंदिर, जानें क्या है रहस्य

उत्तर प्रदेश के झांसी में सखी हनुमान मंदिर में बजरंग बली की स्त्री रूप में पूजा होती है. आनंद रामायण के अनुसार, हनुमान जी ने माता सीता की सेवा के लिए यह रूप धारण किया था. 500 वर्ष पूर्व ओरछा के एक संत को सपने में हनुमान जी ने इस रूप में दर्शन दिए थे, जिसके बाद यह मंदिर स्थापित हुआ.

झांसी में हनुमान मंदिर

भगवान श्रीराम के भक्त हनुमान जी को अब तक आने पुरुष रूप में ही देखा होगा, लेकिन दूनिया में एक स्थान ऐसा भी है, जहां बजरंग बली की पूजा स्त्री रूप में होती है. यह स्थान उत्तर प्रदेश के झांसी में है. यहां बजरंग बली सखी रूप में विराजमान हैं और इसी रूप में उनकी दिव्य पूजा होती है. साल में दो बार बजरंग बली के इस मंदिर में मेला भी लगता है. बजरंग बली का यह स्वरुप आनंद रामायण से प्रेरित बताया जाता है. इस मंदिर के भी बड़े रहस्य हैं.

झांसी में कानपुर हाईवे के पास स्थित इस सखी हनुमान मंदिर के पीछे एक बेहद रोचक कथा है. मान्यता है कि करीब 500 वर्ष पहले ओरछा में सखी बाबा नामक एक संत हुआ करते थे. वह हनुमान जी के बड़े भक्त थे और दिनों रात उनके भजन गाते रहते थे. एक रात वह सोए थे और उसी दौरान उन्हें सपने में हनुमान जी के दर्शन हुए. हनुमान जी उनके सामने स्त्री रूप में दिखाई दिए और आदेश दिया था कि उनकी इसी स्वरुप में एक प्रतिमा है, उसे स्थापित कराएं.

संत ने स्थापित की थी प्रतिमा

हनुमान जी का यह आदेश सुनकर संत की नींद भंग हुई और वह प्रतिमा लेकर उचित स्थान की तलाश करते हुए झांसी आए और इस स्थान पर प्रतिमा को स्थापित कर विधिवत पूजन शुरू कर दिया. देखते ही देखते यह पूरा प्रसंग चर्चा का विषय बन गया और लोग हनुमान जी के इस स्वरूप के दर्शन के लिए यहां आने लगे. स्थिति यहां तक आ गई कि रोज यहां भक्तों का मेला लगने लगा. मान्यता यह भी है कि इस मंदिर में लोगों की मनौतियां सहज ही पूरी हो जाती हैं.

आनंद रामायण में है प्रसंग

बजरंग बली के स्त्री वेश का प्रसंग आनंद रामायण में भी मिलता है. दरअसल, इस अलौकिक मंदिर में बजरंग बली की प्रतिमा सखी रूप की है. आनंद रामायण में एक चौपाई आती है कि “चारुशिला नामक सखी सदा रहत सिय संग। इत दासी उत दास हैं, त्रिया तन्य बजरंग।।” इस चौपाई में बताया गया है कि माता सीता की सेवा के लिए हनुमान जी ने स्त्री रूप धारण किया था. वह ‘चारुशिला’ नामक सखी बनकर हमेशा माता सीता के साथ रहते थे और उनकी सेवा पूजा करते थे.

हनुमान जयंती पर दो दिन का उत्सव

इस मंदिर में हर साल हनुमान जयंती के अवसर पर दो दिवसीय महोत्सव आयोजित किया जाता है. इस दौरान भव्य मेला लगता है. इसमें दूर-दूर से लोग बजरंग बली के इस स्वरूप के दर्शन करने आते हैं और दिनों रात भजन-कीर्तन होता है. इस मौके पर हनुमान जी का विशेष श्रृंगार होता है. इस मंदिर से जुड़े लोगों का कहना है कि यहां आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. इसलिए लोग इस मंदिर में तरह-तरह के अनुष्ठान भी करते हैं.