बाबा विश्वनाथ के दर पर गंगा, 14 सीढ़ियां बाकी… प्रयागराज से बलिया तक बाढ़ का तांडव

वाराणसी में गंगा नदी का जलस्तर खतरनाक स्तर को भी पार कर गया है. बाबा विश्वनाथ मंदिर के गंगा द्वार की 14 तो दशाश्वमेध घाट की केवल तीन सीढियां बाकी बची हैं. कानपुर से बलिया तक गंगा के बाढ़ से प्रभावित हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. वहीं बड़ी संख्या में लोगों ने अपने घर की छतों पर पनाह ली है.

बनारस में बाढ़ का कहर

कानपुर से प्रयागराज तक और काशी से लेकर गाजीपुर बलिया तक गंगा ने रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है. काशी में गंगा ने पहले ही खतरे के निशान को पार कर लिया था, रविवार की सुबह गंगा का जलस्तर 72.00 मीटर को भी पार गया. आलम यह है कि गंगा ने काशी के 84 घाटों को अपने आगोश में लेने के बाद ना केवल शहर में एंट्री ले ली है, बल्कि बाबा विश्वनाथ की दर तक पहुंच गईं हैं. इस समय विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार की महज 14 सीढ़ियां ही नजर आ रही हैं.

वाराणसी जिला प्रशासन के मुताबिक गंगा का जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है. शनिवार की रात करीब 12 बजे गंगा का जलस्तर 71.31 मीटर पर था, लेकिन सुबह होते होते 72 मीटर के गेज को छू गया. स्थिति यहां तक आ गई दशाश्वमेध घाट की केवल तीन सीढ़ियां ही बची हैं. जबकि शीतला घाट का मंदिर पहले ही नदी में गोते लगा चुका है. सिंधिया घाट के रत्नेश्वर महादेव मंदिर का तो केवल शिखर ही नजर आ रहा है. इसी प्रकार नमो घाट पर बने स्क्ल्पचर पानी में डूब चुके हैं. उधर, अस्सी घाट पर उफनाती गंगा ने अपनी सीमाएं तोड़कर शहर में दस्तक दे दी हैं.

जगन्नाथ मंदिर के गेट तक पहुंचा पानी

गंगा के बाढ़ की निगरानी कर रहे अधिकारियों के मुताबिक रविवार को जगन्नाथ मंदिर के गेट तक पानी था. ऐसे हालात में बनारस के निचले हिस्सों में रह रहे बड़ी संख्या में लोग फंस गए हैं. इनमें कुछ लोगों ने अपने घर की छतों पर शरण ली है. वहीं बड़ी संख्या में लोगों को रेस्क्यू कर दूसरे स्थानों और राहत शिविरों में ठहराया गया है. अधिकारियों के मुताबिक बाढ़ पीड़ितों को नक्खीघाट स्थित चित्रकूट कॉन्वेंट इंटर कॉलेज और दनियालपुर के नवोदय पब्लिक स्कूल में ठहराया जा रहा है.

लोगों ने मकान की छतों पर लिया पनाह

उधर, कानपुर और प्रयागराज में सैकड़ों परिवार गंगा की बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. वहीं गाजीपुर और बलिया में भी सैकड़ों घरों में गंगा का पानी घुस चुका है. यहां लोग या तो अपने घरों की छतों पर पनाह लिए हैं या फिर अपना घर बार छोड़ कर रिश्तेदारों के यहां चले गए हैं. बलिया शहर के निचले इलाके महावीर की रहने वाली आरती देवी का कहना है कि वह अपने घर के बाहर बैठी थीं और उनके देखते ही देखते नदी का पानी उनके आंगन में हिलोरें मारने लगा. इससे पहले गंगा ने प्रयागराज में लेटे हनुमान मंदिर में दस्तक दे दिया था.