सैकड़ों घर, हजारों दुकानें और कई मस्जिदें…क्या अब नहीं बचेगा 300 साल पुरानी दाल मंडी का अस्तित्व

बनारस की दालमंडी करीब 300 साल पुरानी है. इस लंबे सफर के दौरान दालमंडी ने तहजीब, तवायफों और तरक्की का दौर देखा. लेकिन हालिया खबरों के मुताबिक दालमंडी में बुल्डोजर एक्शन देखने को मिलने वाला है. अब चौड़ीकरण की प्रक्रिया की जद में सैकड़ों घर, हजारों दुकानें और कई मस्जिदें आ रहे हैं.

क्या खत्म होगी बनारस की दालमंडी

बनारस के दिल में बसी दालमंडी, जिसने तहजीब, संगीत और तवायफों का करीब 300 सालों का दौर देखा. अब ये इतिहास बनने जा रही है. करीब 300 साल पहले गोविंदपुरा कलां इलाके में बसे मोहल्लों में से इस दालमंडी ने समय के साथ- साथ एक बाजार का रूप अख्तियार कर लिया. कभी यहां अदब की तूती बोलती थी, फिर इसी दालमंडी ने तवायफों और बदनामी का दौर भी देखा. लेकिन आज ये इलाका पूर्वांचल में सबसे सस्ते सामान के थोक बाजारों में गिना जाता है. यहीं वजह है कि इसकी गलियां इस कदर खचा- खच भरी रहती हैं कि पैर रखने की भी जगह नहीं होता है.

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि ऐसी कौन सी कौन सी वजह है कि सदियों पुरानी विरासत को समेटे इस मंडी पर बुल्डोजर एक्शन होने वाला है. हांलाकि इसे लेकर ऑफिशियल आदेश तो नहीं जारी हुआ है लेकिन योगी कैबिनेट के एक मंत्री ने हमारे संवाददाता इस बात की पुष्टि की है.

जद में आएंगे सैकड़ों घर

कहा जा रहा है कि इस पूरे इलाके का चौड़ीकरण किया जाएगा. बारिश के बाद दालमंडी में बुलडोजर चलाए जाने की संभावना जताई जा रही है. इसके दायरे में 184 भवन, आधा दर्जन मस्जिदें और करीब 10 हजार दुकानें और कई मस्जिदें आ रहे हैं. यानी अगर यहां एक्शन देखने को मिलता बहै तो केवल एक मोहल्ला नहीं, बल्कि सैकड़ों परिवारों की रोज़ी-रोटी भी दांव पर लग सकती है. इसे लेकर लोग खासा परेशान नजर आ रहे हैं.

योगी के मंत्री ने बताई सच्चाई

इस पर जब टीवी9 डिजिटल ने योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर से बातचीत की, तो उनका कहना है कि दालमंडी में पहले से ही बड़े पैमाने पर अवैध कब्जे हैं. भीड़-भाड़ के चलते वहां राहत व बचाव जैसे कार्यों को करने में खासा परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के चलते आए दिन यहां श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है. इसीलिए रास्तों का चौड़ीकरण करना बेहद अहम हो गया है.

प्रशासन की अपनी दलीलें हैं लेकिन सबसे अहम सवाल ये है कि दालमंड़ी की 300 साल पुरानी विरासत का क्या होगा. फिलहाल इसका जवाब अभी किसा के पास नहीं है.