UP में क्यों बौने पैदा हो रहे बच्चे? देश भर में इस जिले का तीसरा स्थान; हैरान कर देंगे सरकारी आंकड़े

उत्तर प्रदेश में बौनेपन (स्टंटिंग) की दर में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 34 जिले 50% से अधिक स्टंटिंग दर से जूझ रहे हैं, जिसमें चित्रकूट जिला देश में तीसरे स्थान पर है. इसकी मुख्य वजह कुपोषण बताई जा रही है, हालांकि, हाल के पोषण अभियानों के दावों पर यह आंकड़ा सवाल उठाता है.

सांकेतिक तस्वीर

उत्तर प्रदेश में बौनों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सरकारी रिकार्ड में दावा किया है कि राज्य के 34 जिलों में बच्चे बौने पैदा हो रहे हैं. खासतौर पर चित्रकूट जिले में बौनों की तादात तेजी से बढ़ रही है. इस आंकड़े के साथ चित्रकूट बौने बच्चों के लिहाज से देश में तीसरे स्थान पर आ गया है. यह आंकड़ा केंद्रीय महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्रालय ने जारी किया है. विभाग की मंत्री सावित्री ठाकुर ने संसद में 25 जुलाई को बिहार के सीपीआई सांसद सुदामा प्रसाद और टीडीपी सांसद श्रीभरत मथुकुमिलि द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में यह आंकड़ा पेश किया है.

इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उत्तर प्रदेश के 34 जिलों में जीरो से पांच साल के बच्चों में बौनेपन (Stunting) की दर 50 प्रतिशत से भी अधिक है. रिपोर्ट पर चिंता जताते हुए कहा गया है कि अकेले चित्रकूट में बौनेपन की दर 59.58 प्रतिशत से अधिक है. इस आंकड़े के साथ चित्रकूट देश का तीसरा ऐसा जिला हो गया है, जहां बौने बच्चे ज्यादा पैदा हो रहे हैं. इस रिपोर्ट में केंद्र सरकार ने देश भर के जिलों का उल्लेख किया है. इनमें से 63 जिलों को चिन्हित करते हुए दावा किया है कि यहां बौनेपन की दर 50 प्रतिशत से अधिक है. इन 63 जिलों में 34 जिले अकेले उत्तर प्रदेश में ही हैं. वहीं बाकी 29 जिले देश के अलग अलग राज्यों में हैं. इनमें भी महाराष्ट्र का नंदुरबार 68.12 प्रतिशत के साथ टॉपर पर है. वहीं झारखंड का पश्चिम सिंहभूम 59.48 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है.

टॉप टेन में उत्तर प्रदेश के ये जिले

संसद में पेश आंकड़ों में यूपी के जिन जिलों को टॉप टेन में रखा गया है, उसमें चित्रकूट के अलावा बांदा, संभल, फिरोजाबाद, जौनपुर, हमीरपुर, बरेली, अमरोहा, सीतापुर और एटा शामिल हैं. सरकार ने इस बौनेपन की वजह पोषण की कमी बताई है. केंद्रीय मंत्री के मुताबिक जून 2025 तक आंगनबाड़ी और पोषण ट्रैकर पर देश भर में 7.36 करोड़ बच्चे पंजीकृत हैं. इनमें से करीब सात करोड़ बच्चों की लंबाई और वजन का डाटा एकत्र किया गया है. इसके अध्ययन से पता चला है कि 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 63 जिलों में 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे बौनेपन से पीड़ित हैं. हाल ही में उत्तर प्रदेश में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की निदेशक सरनीत कौर ब्रोका ने भी इसी तरह का दावा किया था. उन्होंने कहाथा कि संभव अभियान 4.0 के तहत कुपोषण, आयरन की कमी और एनीमिया की दर में उल्लेखनीय कमी आई है.

विभागीय दावे के उलट मंत्री की रिपोर्ट

उधर, मई 2025 की एनएफएचएस-5 (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5) की रिपोर्ट में कहा गया था कि तीव्र कुपोषण (Wasting) की दर 2019-21 के 17.3 प्रतिशत से घटकर 4 प्रतिशत और अल्पवजन बच्चों की दर 34.5 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत हो गई है. इस सफलता के आधार पर 7 जुलाई 2025 को संभव अभियान 5.0 की शुरुआत भी की गई. हालांकि, संसद में पेश की गई बौनेपन की उच्च दर की रिपोर्ट इन दावों पर सवाल खड़े करती है. विशेषज्ञों का मानना है कि बौनेपन की समस्या कुपोषण, खराब स्वास्थ्य सेवाओं और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं का परिणाम है.

ये हैं ज्यादा प्रभावित जिले

  • चित्रकूट में 59.44 प्रतिशत
  • बांदा में 59.33 प्रतिशत
  • संभल 56.79 प्रतिशत
  • फिरोजाबाद 56.37 प्रतिशत
  • जौनपुर 54.89 प्रतिशत
  • हमीरपुर 54.72 प्रतिशत

इन जिलों में भी बौने पैदा हो रहे बच्चे

इस रिपोर्ट के मुताबिक हापुड़, मुजफ्फरनगर, सोनभद्र, मीरजापुर, फर्रुखाबाद, उन्नाव, कौशांबी, मैनपुरी, सुलतानपुर, गाजीपुर, बाराबंकी, पीलीभीत, बदायूं, प्रतापगढ़, गोंडा, सिद्घार्थनगर, हरदोई, फतेहपुर, आगरा, ललितपुर, महोबा, लखनऊ, रायबरेली और मुरादाबाद आदि जिलों में बच्चे बौने पैदा हो रहे हैं.