पहले नामजद दर्ज कराया छेड़छाड़ का मुकदमा, बाद में मुकर गईं मां-बेटी; कोर्ट ने लिया ये एक्शन

गाज़ियाबाद में एक किशोरी और उसकी मां ने पहले दो युवकों पर छेड़छाड़ का झूठा मुकदमा दर्ज कराया. फिर बाद में कोर्ट में उन्होंने आरोपियों को पहचानने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए दोनों आरोपियों को बरी कर दिया है. वहीं झूठा मुकदमा दर्ज कराने के लिए मां-बेटी के खिलाफ़ कानूनी कार्रवाई के आदेश दिए हैं.

सांकेतिक तस्वीर

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक हैरान करने वाली घटना हुई है. यहां एक किशोरी और उसकी मां ने पहले तो दो लड़कों के खिलाफ छेड़छाड़ की शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया और अब मामले की सुनवाई कोर्ट में शुरू हुई तो दोनों मां-बेटी ने आरोपियों को पहचानने से इनकार कर दिया है. किशोरी ने कहा कि छेड़छाड़ तो हुई थी, लेकिन किसने किया, ये नहीं पता. वहीं उसकी मां ने कहा कि जैसा उसकी बेटी ने बताया, वैसा ही बयान उसने पुलिस को दिया था.

इतना सुनकर कोर्ट ने नाराजगी प्रकट की और संदेह का लाभ देते हुए दोनों आरोपियों को बरी कर दिया. वहीं झूठा मुकदमा दर्ज करने और गलत बयान देने पर महिला और उसकी बेटी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने इस मामले में प्रकीर्णवाद दर्ज करने का आदेश दिया है. मामला गाजियाबाद में कविनगर थाना क्षेत्र में 25 मार्च 2019 का है. थाना क्षेत्र में रहने वाली एक एक महिला ने कविनगर थाने में दो युवकों के खिलाफ नामजद शिकायत दी थी. आरोप लगाया था कि ये दोनों आरोपी उसकी 13 साल की बेटी से राह चलते छेड़छाड़ करते हैं.

नामजद दर्ज कराई थी शिकायत

महिला की शिकायत पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया. चूंकि महिला और उसकी बेटी ने दावे से कहा था कि वह आरोपियों को पहचानती है, इसलिए पुलिस ने दोनों आरोपियों को अरेस्ट किया और इन दोनों से पहचान भी कराई. इसके बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों नवाब और समीर को अदालत में पेश कर जेल भेज दिया. इसके बाद कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट में शिनाख्त परेड हुआ. इस दौरान पीड़िता ने आरोपियों को पहचानने से इनकार कर दिया. कहा कि उसके साथ छेड़छाड़ तो हुई थी, लेकिन इन दोनों ने की या किसी और ने, ये उसे नहीं पता.

अब दर्ज होगा प्रकीर्णवाद का केस

किशोरी के बाद आरोपियों की पहचान उसकी मां से कराई गई. उसने भी यह कहते हुए पहचानने से इनकार कर दिया कि उसकी बेटी ने जैसा कहा था, उसने वैसा ही बयान दिया. दोनों के बयान को सुनकर कोर्ट ने नाराजगी प्रकट की. कहा कि इनके झूठे बयान से अदालत का तो समय बर्बाद हुआ ही, दो निर्दोष लोगों को भी जेल जाना पड़ा और झूठे मुकदमे में कोर्ट के चक्कर काटने पड़े. कोर्ट ने इसी आधार पर महिला के खिलाफ प्रकीर्णवाद (झूठे साक्ष्य और अदालत को गुमराह करने से संबंधित आपराधिक प्रक्रिया) दर्ज करने का फरमान सुनाया है. कोर्ट के इस आदेश के मुताबिक दोनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू हो गई है.