लखनऊ में क्यों हिचकोले खा रही ‘सौमित्र विहार’ योजना? आवास विकास परिषद ने बताई लाॅॅन्ग की नई डेट

लखनऊ की आवास विकास परिषद की महत्वाकांक्षी सौमित्र विहार योजना में आठ महीने की देरी हो गई है. पहले यह योजना जनवरी में लांच होने वाली थी, लेकिन अब अगस्त में लांचिंग की बात कही जा रही है. योजना में यह देरी भूमि पूलिंग नीति के तहत किसानों को भूखंड आवंटन नहीं होने की वजह से है. योजना में लगभग 4000 आवासीय और वाणिज्यिक भूखंड शामिल हैं.

सांकेतिक तस्वीर

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आवास एवं विकास परिषद की प्रस्तावित सौमित्र विहार योजना छह महीने की देरी से चल रही है. गोसाईंगंज में न्यू जेल रोड के पास स्थित यह सौमित्र विहार योजना आवास विकास परिषद की महत्वाकांक्षी योजना है, लेकिन इसे शुरू करने के लिए एक बार फिर आगे की तारीख दे दी गई है. योजना से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक इस बार भी देरी की वजह लैंड पूलिंग नीति ही है.

दरअसल योजना में जमीन देने वाले किसानों को अब तक भूखंड आवंटित नहीं हो पाए हैं. जबतक यह भूखंड आवंटित नहीं हो जाते, योजना पर आगे बढ़ना संभव नहीं है. पहले इस योजना को जनवरी 2025 में शुरू करने का लक्ष्य तय किया गया था, लेकिन ऐन वक्त पर योजना की लांचिंग डेट छह महीने आगे की दे दी गई और यह छह महीना पूरे होने पर फिर दो महीने आगे की डेट बताई गई है. अब दावा किया जा रहा है कि योजना अगस्त में शुरू होगी. हालांकि इस डेट के साथ एक बार फिर शर्त रखी गई है कि जमीन का आवंटन हुआ तो ऐसा होगा, अन्यथा एक बार फिर डेट बढ़ सकती है.

पेंडिंग है किसानों को भूमि आवंटन

यूपी हाउसिंग एंड डेवलपमेंट बोर्ड के सचिव नीरज शुक्ला के मुताबिक पहली प्राथमिकता किसानों को लैंड पूलिंग समझौते के अनुसार विकसित भूखंड सौंपना है. जब तक यह काम नहीं होता, योजना की लांचिंग संभव नहीं. उन्होंने बताया कि रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (रेरा) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, परियोजना को औपचारिक रूप से शुरू करने से पहले कब्जा और दस्तावेजीकरण सहित अन्य सभी लेन-देन पूरे होने चाहिए. इस व्यवस्था के तहत बोर्ड को कुल विकसित भूमि का 25 फीसदी हिस्सा किसानों को वापस करना है.

दो चरणों में मिल सकेंगे 4000 भूखंड

उन्होंने बताया कि इसमें अभी भी एक महीने से अधिक का समय लगने की उम्मीद है. यह योजना दो चरणों में लागू होगी. प्रत्येक चरण में लगभग 2,000 आवासीय और वाणिज्यिक भूखंड उपलब्ध होंगे. सभी आय वर्गों को ध्यान में रखकर डिजाइन की गई इस योजना में 10 फीसदी भूखंड आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और 10 फीसदी मध्यम आय वर्ग (एमआईजी) के लिए आरक्षित हैं. इसी प्रकार वाणिज्यिक भूखंडों की कीमत 23,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर निर्धारित की गई है.